हारीत संहिता – वैद्यक सर्वस्व पर्याय
· ८ प्रकार की चिकित्सा - अष्टांग आयुर्वेद – अगद व विषतन्त्र अलग-अलग अंग बताये है
· स्थान – 1st – अन्नपानस्थान, 2nd – अरिष्टस्थान, 3rd - चिकित्सा स्थान, 4th- कल्पस्थान, 5th – सूत्रस्थान, 6th - शारीरस्थान
· “गर्भोपक्रम विज्ञानं सूतिका उपक्रम तथा । बालानाम रोगशमनं क्रिया बाल चिकित्सितम् ॥”
· अगद तंत्र – गुदरोग,बस्तिरोग,निरुह बस्ति,अनुवासन बस्ति का वर्णन
· उपांग चिकित्सा – सद्योव्रण + दग्ध चिकित्सा
· चिकित्सा के दो भेद – कोप,शमन
· काल – ३ प्रकार
· वय – ४ प्रकार –
§ बाल – १६ वर्ष तक
§ युवा-३५ वर्ष तक (काश्यप – ३४वर्ष तक)
§ मध्यम – ७० वर्ष तक
§ वृद्ध – ७० वर्ष से ऊपर
o क्षार+कषाय रस = वात कोपक मधुर+अम्ल = वात शामक
o मधुर+तिक्त = कफ कोपक कटु+कषाय = कफ शामक
o कटु+अम्ल = पित्त कोपक मधुर+तिक्त = पित्त शामक
· ८ प्रकार की चिकित्सा - अष्टांग आयुर्वेद – अगद व विषतन्त्र अलग-अलग अंग बताये है
· स्थान – 1st – अन्नपानस्थान, 2nd – अरिष्टस्थान, 3rd - चिकित्सा स्थान, 4th- कल्पस्थान, 5th – सूत्रस्थान, 6th - शारीरस्थान
· “गर्भोपक्रम विज्ञानं सूतिका उपक्रम तथा । बालानाम रोगशमनं क्रिया बाल चिकित्सितम् ॥”
· अगद तंत्र – गुदरोग,बस्तिरोग,निरुह बस्ति,अनुवासन बस्ति का वर्णन
· उपांग चिकित्सा – सद्योव्रण + दग्ध चिकित्सा
· चिकित्सा के दो भेद – कोप,शमन
· काल – ३ प्रकार
· वय – ४ प्रकार –
§ बाल – १६ वर्ष तक
§ युवा-३५ वर्ष तक (काश्यप – ३४वर्ष तक)
§ मध्यम – ७० वर्ष तक
§ वृद्ध – ७० वर्ष से ऊपर
o क्षार+कषाय रस = वात कोपक मधुर+अम्ल = वात शामक
o मधुर+तिक्त = कफ कोपक कटु+कषाय = कफ शामक
o कटु+अम्ल = पित्त कोपक मधुर+तिक्त = पित्त शामक
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