भैषज्य रत्नावली के कु्छ योग
- पञ्चवक्त्र रस – ज्वर
- कफकेतु रस – ज्वर
- कस्तुरीभैरव रस – ज्वर
- लक्ष्मी विलास रस – ज्वर
- ब्राह्मी वटी – ज्वर
- विषमज्वरघ्नी वटी – ज्वर
- कर्पुररस – अतीसार
- अहिफेनासव – अतीसार
- पञ्चपल्लव –ग्रहणी
- दाडिमाष्टक - ग्रहणी
- दुग्धवटी – ग्रहणी
- रामबाण रस – अग्निमान्ध
- अग्निसन्दीपन रस – अग्निमान्ध
- क्रिमिनुद्गर रस – कृमि
- चतुर्भुज रस – उन्माद
- नाराचरस – उदावर्त
- सप्तशालिवटी – फिरंग
- रजःप्रवर्तनी वटी –रजोरोध
- कुबेराक्षादि वटी – शूल, अग्निमान्ध
- प्रभाकरवटी – हृद्रोग
- आमवातारिवटी – आमवात
- वातगजांकुश – वातव्याधि
- उन्मादगजांकुश उन्माद
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