Thursday, 26 April 2018

अध्याय -29 दशप्राणायतनीय

अध्याय -29 दशप्राणायतनीय
Ø 29 श्लोकं स्थान अर्थ संग्रहः
Ø 30 श्लोक स्थान अध्याय संग्रह
Ø 30 श्लोक स्थान आयुर्वेद संग्रह
प्राणायतन – 10 शंखौ मर्मत्रयं कण्ठो रक्तं शुक्रौजसी गुदम् ।
प्राण – 12 ( सु.शा.4 )
दश प्राणायतन –
               च. सू. -29
                 च. शा.-7
             अष्टांग संग्रह
शंख
मांस
जिह्वा बन्धन
शंख
नाभि
नाभि
हृदय
हृदय
हृदय
बस्ति
बस्ति      षड्मर्म ( प्राणायतन में )
बस्ति
शिर
मूर्धा
मूर्धा/शिर
कण्ठ
कण्ठ
कण्ठ
गुदा
गुदा
गुदा
रक्त

रक्त
शुक्र

शुक्र
ओज

ओज
 
o   काश्यप – 3 महामर्म – हृदय बस्ति मूर्धा
o   चरक – 3 मर्म/ प्रधान मर्म – हृदय बस्ति शिर
o   सुश्रुत – 3 प्रधान मर्म – हृदय बस्ति नाभि or हृदय बस्ति अधिपति
 काश्यप 5 हृदय – 4 शाखाश्रित एवं 1 मुख्य
                     ( हस्तपाद तल मध्य )
द्विविध भिषक्- हन्तारो रोगाणां –प्राणाभिसर
                    हन्तारः प्राणानां – रोगाभिसर
प्राणाभिसर – तानीन्द्रियाणि विज्ञानं चेतनाहेतुं आमयान । जानीते यः स……..प्राणाभिसर ।
                 प्राणायतन – 10
रोगाभिसर – भिषक छद्मप्रतिच्छन्ना, कण्टकभूता लोकस्य,प्रतिरुपक,सद्यर्माणो राजां प्रमादात् चरन्ति राष्ट्राणि ।
वीतसं ( जाल ) संश्रित्य वने शाकुन्तिको ( छद्मचर वैद्य ) द्विजान (रोगी)
मूर्ख विशारद वैद्य / भिषकमानी – सर्पास्ते पीतमारुता ।

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