अध्याय -29 दशप्राणायतनीय
Ø 29 श्लोकं स्थान अर्थ संग्रहः
Ø 30 श्लोक स्थान अध्याय संग्रह
Ø 30 श्लोक स्थान आयुर्वेद संग्रह
प्राणायतन – 10 शंखौ मर्मत्रयं कण्ठो रक्तं शुक्रौजसी गुदम् ।
प्राण – 12 ( सु.शा.4 )
दश प्राणायतन –
च. सू. -29
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च. शा.-7
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अष्टांग संग्रह
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शंख
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मांस
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जिह्वा बन्धन
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शंख
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नाभि
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नाभि
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हृदय
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हृदय
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हृदय
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बस्ति
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बस्ति षड्मर्म ( प्राणायतन में )
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बस्ति
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शिर
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मूर्धा
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मूर्धा/शिर
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कण्ठ
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कण्ठ
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कण्ठ
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गुदा
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गुदा
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गुदा
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रक्त
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रक्त
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शुक्र
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शुक्र
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ओज
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ओज
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o काश्यप – 3 महामर्म – हृदय बस्ति मूर्धा
o चरक – 3 मर्म/ प्रधान मर्म – हृदय बस्ति शिर
o सुश्रुत – 3 प्रधान मर्म – हृदय बस्ति नाभि or हृदय बस्ति अधिपति
( हस्तपाद तल मध्य )
द्विविध भिषक्- हन्तारो रोगाणां –प्राणाभिसर
हन्तारः प्राणानां – रोगाभिसर
प्राणायतन – 10
रोगाभिसर – भिषक छद्मप्रतिच्छन्ना, कण्टकभूता लोकस्य,प्रतिरुपक,सद्यर्माणो राजां प्रमादात् चरन्ति राष्ट्राणि ।
वीतसं ( जाल ) संश्रित्य वने शाकुन्तिको ( छद्मचर वैद्य ) द्विजान (रोगी)
मूर्ख विशारद वैद्य / भिषकमानी – सर्पास्ते पीतमारुता ।
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