Tuesday, 24 April 2018

जान्तव द्रव्य

जान्तव द्रव्य –
कस्तुरी – Moskus,Musk  मृगनाभि वेधमुख्या सहस्त्रभिद् (सहस्त्रवेदी – हिंगु)
              रस – कटु वीर्य – ऊष्ण विपाक – कटु
             चतुर्भुज रस ,हिंगुकर्पूर वटी,दशमूलारिष्ट,मृगमदासव 
             मात्रा - ६०-१२० मि.ग्रा. ( ½-१रत्ती )
o   कामरुप -  कृष्ण   
o   नेपाली -  नील
o   काश्मरी – कपिल – श्रेष्ठ – ( केशर का भेद भी – ३ – काश्मरी बाह्लीक पारसीक)
मृगश्रंग – शम्बर,विषाण
             मधुर उष्ण मधुर    ( श्रृंग – हृदयशूल,पार्श्वशूल)
             बालार्कगुटिका क्षयकेसरी रस
अग्निजार – अम्बर – ambergris - बृहत ब्राह्मी वटी
                रस – कटु वीर्य – उष्ण विपाक – कटु
समुद्रफेन – Sepie ochificinalis Cuttle Fish cover
               कषाय शीत कटु –
               अर्धनारीनटेश्वर, सुखावर्ती वर्ति
               कर्णरोग व चक्षुष्य
शंख –Turbinellia pyrum -  (शंखवटी,चन्द्रोदयावर्ति,लोकनाथरस,प्रवाल पंचामृत)
         कम्बु, सुनाद, समुद्रज, त्रिरेख (योनि,गुद)
         ग्रहणी रोग नाशक तारुण्यपिटिकाप्रणुत नेत्रपुष्पहर
मुक्ता – Margerita - राजयक्ष्मानाशक
मुक्ताशुक्ति – हृदयरोगनाशक
कूर्म – Tortoise मेधास्मृतिकरः पथ्य शोषघ्नः कूर्म उच्यते । (मांस)
कर्कटक – Seilla serrata केंसर/केकडा
              कुलीर
नख – Land snail/ Achatina fulica समुद्री जन्तु के मुख का आवरण २ भेद – नख नखी
शम्बुक – Small conch
             क्षुद्रशंख
इन्द्रगोप – Mutella occidentalis वीरबहुटी इन्द्रवधु
भूनाग – Pherritima postturne भूनागसत्व – ताम्र केचुंआ   -   (बालशोषहर तैल)
हस्तीदन्त – Ivory
गोरोचन – Gall stone मांगल्या गौरी .पर्याय – बालार्क रस
गन्धमार्जार वीर्य – Viverra gibetho/ civeret cat
कोश से प्राप्त द्रव्य  -
गन्धमार्जार – Beaver / castorium / castorine होता है ।
                 जुन्दबेदस्तर ,पूतीखट्टाशी -  वृषण ग्रन्थि है ।
पित्तपञ्चक - पित्त पंचात्मकं मत्स्यगवाश्वनरबर्हिजम । ( मृतसंजीवन अगद,ॠषभ अगद,मांस्यादि लेप )
कोश – Silk pod शहतूत क वृक्ष पर पाला जाता है 

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